स्त्री
पता नहीं कैसी संस्कृति थी...
जो
मेरे बाहर निकलते ही
ख़तरे में पड़ गयी?
मैं तो
अचार को भी धूप न दिखाऊँ
तो ख़राब हो जाता है!
Hanumant Sharma की wall से साभार
पता नहीं कैसी संस्कृति थी...
जो
मेरे बाहर निकलते ही
ख़तरे में पड़ गयी?
मैं तो
अचार को भी धूप न दिखाऊँ
तो ख़राब हो जाता है!
Hanumant Sharma की wall से साभार
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