Tuesday, August 3, 2010

आदमी आदमी को क्‍या देगा

एक ग़ज़ल सबको अच्छी लगेगी

आदमी आदमी को क्‍या देगा
जो भी देगा वही ख़ुदा देगा

मेरा कातिल ही मेरा मुनिसफ़ है
क्‍या मेरे हक में फ़ैसला देगा

ज़िंदगी को करीब से देखो
इसका चेहरा तुम्‍हें रुला देगा

हमसे पूछो ना दोस्‍ती का सिला
दुश्‍मनों का भी दिल हिला देगा

-सुदर्शन फ़ाकिर

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