Friday, December 5, 2014

स्त्री
पता नहीं कैसी संस्कृति थी...
जो
मेरे बाहर निकलते ही
ख़तरे में पड़ गयी?
मैं तो
अचार को भी धूप न दिखाऊँ
तो ख़राब हो जाता है!


Hanumant Sharma की wall से साभार

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